31 March 2020

घेचौरा ल धरहिच्चे

दिया बरत हे जतका बेर, अंजोर तो करहिच्चे
तेल सिरा जाही तभो ले, बाती दम भर बरहिच्चे
रेस्टीप के जिनगी ए, भागत ले कस के भाग ले,
आखिरी बेर यमराज, तोर घेचौरा ल धरहिच्चे...

27 February 2020

व्यंग्य बाण

व्यंग्य के बाण,
कहीं से टूट गए हैं।
शायद मेरे शब्दकोष,
मुझसे रूठ गए हैं...

01 August 2019

जलता रावण

हे मनुष्य!
तुम रावण को,
क्या जलाओगे!!
वह तो,
खुद ही जलता है,
तुम्हें दिखाने के लिए,
कि बुराई कितनी भी,
भयानक क्यों न हो,
एक दिन,
जल ही जाती है,
मेरी तरह,
किंतु तू नासमझ!
जहाँ से रावण,
बुराई खत्म करने की,
प्रेरणा देता है,
तू वही से,
सारी बुराइयों को,
दुगुने दुस्साहस से,
पुनः ग्रहण करता है,
कदाचित रावण,
इसीलिए चुपचाप,
जल जाता है,
क्योंकि तूने,
रावण की सीमा भी,
लांघ दी है!!

27 April 2019

धाम कहाँ है

का धाम कहाँ है.....

बता दे कलियुग श्याम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है,
मैं भटकूँ हरदम जोगी सा,
देख हाल मेरा है रोगी सा,
बस आँख से आँसू बहते हैं,
अब लोग तो पागल कहते हैं,
जिसे लेने जग में आया था,
वो पावन सुंदर नाम कहाँ है।
बता दे कलियुग श्याम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है।

रघुकुल की मर्यादा लेकर,
मानव धर्म की शिक्षा देकर,
विश्व विजय कर दिखलाया,
राष्ट्र धरम  को सिखलाया,
सिया भी तुमसे पूछ रही है,
बता दे कलियुग राम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है।

सत्य वचन नित रहता था,
हृदय से अमृत बहता था,
परहित करने नत हो जाते,
जनकल्याण में रत हो जाते,
बहुजन हित की पूजा का,
सन्ध्या या वह शाम कहाँ है,
बता दे कलियुग श्याम कहाँ है,
मेरे ठाकुर जी का धाम कहाँ है...

20 April 2019

न्याय बन जा

आवाहन करता हूँ मैं,
सुकुमारी सुकन्याओं का,
पग-पग अग्नि परीक्षा देती,
सबला बालाओं का,
ज्ञात हो कि
कानून तुम्हारा रखवाला,
नहीं है,
यहाँ चीरहरण,
रोकने वाला,
गोपाला नहीं है,
अपनी रक्षा तुम्हें,
स्वयं करनी होगी,
खुद की पीड़ा खुद ही,
हरनी होगी,
इसलिए,
लक्ष्मी, दुर्गा, काली बनो,
स्वयंभू और बलशाली बनो,
मनचलों में अपार
भय बाँट दो,
दुश्चरित्रान्धों को,
टुकड़ों में काट दो,
खड्ग ले बस,
लड़ते ही रहना,
पर लाचार विधान से,
कभी उम्मीद मत करना,
कृष्ण भी तुम हो,
द्रोपदी भी हो,
काल भी तुम हो,
सदी भी हो,
अब से एक नया,
अध्याय बन जा,
खुद के लिए खुद ही,
न्याय बन जा।

आ बेटा चुरगे खाबे

आ बेटा चुरगे खाबे,
खाले, तहाँ ले डिलवा डहर मेछराबे,
गाँव म घूम-घूम इतराबे,
अउ काटपत्ती-चौरंग म,
कमाके घलो तो लाबे,
आ बेटा चुरगे खाबे।
ददा हर कोल्हू कस बइला,
कमावत हे,
सुक्खा रोटी ल,
रसमलई बरोबर खावत हे,
तेखर पीठ म,
लदना कस लदाबे,
आ बेटा चुरगे खाबे।
दाई हर बनी म जात हे,
तोला जनमाहे तेखर,
लागा ल छुटात हे,
सुआरी के कमई घलो ल,
मुसुर-मुसुर हलाबे,
आ बेटा चुरगे खाबे।
घर वाले मन ल,
लहू के आँसू रोवाबे,
ददा के कमाए मरजाद ल,
माटी म घलो तो मिलाबे,
दाई-ददा तो हक खागे,
उंखर जिये के संउख बुतागे,
ठोमहा भर पानी म तो उन बुड़गे,
अउ काय गंगा ले के जाबे,
आ बेटा चुरगे खाबे।

18 April 2019

धुएँ में

भारत सरकार ने कानून बनाया,
'रेलवे परिसर में बीड़ी-सिगरेट पीना,
दण्डनीय अपराध है'
हम ट्रेन में सफर कर रहे थे तभी,
एक महोदय को हमने बीड़ी पीते देखा,
हमने उन्हें कानून की दुहाई देकर रोका,
'कि बीड़ी पीना दण्डनीय अपराध है'
ये शरीर के लिए व्याध है,
उसने हमें उलटकर दिया-
"हम कमाता है तो उड़ाता है,
इसम तेरे बाप का क्या जाता है?
उनकी बातों को सुनकर,
हमारा मुँह बन्द हो गया,
अब सिगरेट और बीड़ी का गंध,
मजबूरी में सुगंध हो गया,
हम सोचने लगे- 'देश के लोगों में,
सरकार के प्रति कैसा जुनून है,
हर जगह सिगरेट के धुएँ में,
आसानी से उड़ रहा कानून है।

17 April 2019

सुकून

वह पूंजीपति भिखारी,
दर-दर भटकता था,
'सुकून' की तलाश में,
दूर-दूर तक,
ताकता चला जाता था,
तब एक गरीब जो,
धनी था 'सुकून' का,
बिठाया उसको,
'सुकून' की चारपाई पर,
परोसा भी उसने,
मक्के की रोटी में,
धनिया की चटनी का 'सुकून'
नींद भी आई तो,
सपने में देखा,
यही तो था,
दुर्लभ, 'सुकून'

04 April 2019

धारे-धार बोहाही

गुरुजी के जेब ल,
साहब खोजत हे,
साउ सिधवा मनखे ल,
भरका म बोजत हे,
शिक्षाकर्मी गुरुजी,
साहब हे डिप्टी,
गुरुजी ल भोभरा के,
माँगत हावे फिफ्टी,
जकजकहा बानी
डिफ्टी हावे,
दिखत हे दरूवाहा,
मुहू ल निकले बोली हर,
निचट हे करुवहा,
एकरे सेती,
अधिकारी, नेता के,
मापदंड होना चाही,
छूट म बने
नेता अधिकारी,
आइसनेहे भोकवा आही,
त भोकवा नेता,
गदर मताही, अउ
भोकवा अधिकारी मेछराही,
बारा हाल होही जनता के,
धारे-धार बोहाही।

11 December 2018

जनता जनार्दन है

(भूतों के लिए)
इसीलिए कहते हैं कि
ज्यादा अहंकार मत करो,
मानवता की मर्यादा को,
कभी पार मत करो,
समय आने पर
किसी का भी,
कर देती मर्दन है,
इसीलिए तो
हमेशा जनता जनार्दन है।

(जीवितों के लिए)
आशीर्वाद लो और आगे बढ़ो,
नित नई मंजिल तुम रोज गढ़ो,
लेकिन पिछली गल्तियों को
बिल्कुल मत दोहराना,
राजनीति का स्वाद,
जरूर चखना पर,
जनता से प्रेम,
हमेशा बनाये रखना,
क्योंकि
पापियों का पाप जनता हरती है,
और जनता ही है,
जो राजतिलक करती है..

29 November 2018

अति है

सियासत की बिसात पर,
विश्वास की भी अति है।
दिकभ्रमित करते चाटुकार,
विक्षिप्त हो रही मति है।।

22 November 2018

दाई के दूध म अमृत होथे

आजकाल के लइका मन के उमर
बीमारी म पहावत हे,
काबर !
आजकाल के दाई लइका ल
अपन दूधे नई पियावत हे,
अरे! देवता घलो मन,
महतारी के दूध पिये बर,
अपन जीव ल चुरोथे,
काबर!
दाई के दूध म अमृत होथे,
आजकाल के दाई मन ल,
बस अपन फिगर के चिंता हे,
अरे! द्वापर त्रेता के दाई मन,
फिगर के चिंता करतीस,
त भगवान धरती म
कभू नई अवतरतीस,
लोगन कहिथें-
भगवान मन अवतार लेके,
परमार्थ करे बर  ललचाय रहिन,
फेर सिरतोन गोठ तो ये हर आय,
ओमन धरती म दाई के दूध पीये आय रहिन।

13 November 2018

अर्थव्यवस्था बरबाद होगे

भले कोनो पार्टी म दम नई हे,
फेर रैली म जवईया मन के टेस,
विधायक ले कम नई हे,
हाथ म पार्टी के झंडा अउ,
मुँह म बीरोपान हे,
पागे हे फोकटहा फटफटी,
तहाँ देखावत अपन शान हे,
दूदी सौ के रोजी म,
नारा लगईया के भरमार हे,
राजनीति के चिखला,
सादा कुरथा के व्यापार हे,
वर्तमान के व्यवस्था म,
राजनीति हर दाद होगे,
अउ चुनाव सेती देस के,
अर्थव्यवस्था बरबाद होगे।।

11 November 2018

बाँचगे खाली लोटा

बिन पेंदी के लोटा खेलय,
राजनीति के गोंटा,
अठन्नी बनगे खर-खर भईया,
सिक्का होगे खोटा,
जेने बनथे संगी भईया,
उही मसकथे टोंटा,
आस जम्मो छरियागे भईया,
छरियागे सबके पोटा,
खदर-बदर हे विचार ह भईया,
जुच्छा जाही नोटा,
दुआ-भेदी के अंगरा हे भईया,
लूट डरिस जी कोटा,
काजू-मेवा खादी के भईया,
बपरा मन के चरोटा,
बरगे चिक्कन घर हर भईया,
बाँचगे खाली लोटा।

04 November 2018

महूँ खड़े हँव

ए कका! देसी ल छोड़,
अंग्रेजी ल गटक,
एती-तेती झन बिचार,
मोरे चिनहा म ठप्पा पटक,
चार दिन बर तुंहर ले छोटे हँव
तहाँ पांच साल बर महीं बड़े हँव,
देखे रइहव ददा-भाई,
चुनाव बर महूँ खड़े हँव,
पुराना गोठ हे काबर,
गोठ नवा ल धर,
पाँच सौ के पत्ती देत हँव
जादा चिक-चिक झन कर,
अरे! परिवार के,
कका-बेटा संग लड़े हँव
देखे रइहव ददा-भाई,
चुनाव बर महूँ खड़े हँव।।

01 November 2018

सुरता सीजी डॉट कॉम का विमोचन

सुरता सीजी डॉट कॉम का विमोचन

नवागढ़ के सुप्रसिद्ध छंदकार और साहित्यकार श्री रमेश कुमार सिंह चौहान के कृतियों को संग्रहित करते हुए सुरता सीजी डॉट कॉम नामक वेबसाइट का विमोचन राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष और भाषाविद डॉ. विनय पाठक द्वारा फीता काट कर किया गया।
    विशेष अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त शिक्षक और वरिष्ठ साहित्यकार कृष्ण कुमार भट्ट 'पथिक' गुरतुर गोठ डॉट कॉम के प्रधान सम्पादक और सुप्रसिद्ध गीतकार श्री बुधराम यादव, सुप्रसिद्ध छंदकार और साहित्यकार तथा भाषाविद श्री चन्द्रशेखर सिंह, साहित्यकार श्री विनोद कुमार पांडे उपस्थित थे।
     रमेश कुमार सिंह चौहान ने बताया कि यह वेबसाइट नये रचनाकारों के लिए स्वर्णिम अवसर होगा साथ ही इसमें छत्तीसगढ़ी के दुर्लभ शब्दों, वरिष्ठ साहित्यकारों का परिचय भी उपलब्ध होगा।
    वेबसाइट को डेवलपमेंट श्री छत्रधर शर्मा ने किया था। मुख्य अतिथि श्री विनय पाठक ने कहा कि आज नवागढ़ ने साहित्यिक के क्षेत्र में इतिहास गढ़ा है। उन्होंने कहा कि यह वेबसाइट आने वाले समय में युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत होगा।
     वरिष्ठ साहित्यकार श्री भट्ट जी ने कहा कि वेबसाइट का लांच होना नवागढ़ के लिए गर्व की बात है और यह रमेश कुमार सिंह चौहान की बड़ी उपलब्धि के रूप में स्मरण रहेगा।
     संचालन व्यंग्यकार मनोज कुमार श्रीवास्तव ने किया। अन्य साहित्यकारों में डॉ. राजेश मानस, विनोद कुमार पांडे, जगदीश प्रसाद देवांगन, श्री सुनील शर्मा 'नील' श्री देव गोस्वामी, पण्डित देवल शर्मा, होरीलाल साहू तथा सहयोगी के रूप में वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रमोद पाठक, श्री भूपेश दुबे, सन्तोष देवांगन, श्री रविन्द्र शर्मा, श्री दिलीप जायसवाल, श्री नारायण निर्मलकर, श्री सुरेंद्र चौबे जी उपस्थित थे।

30 October 2018

बीमारी से बांचे के उपाय (संकलित अउ अनुवादित)

सबले पहिली बिहिनिया उठके 2 से 3 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए अउ पानी ल हमेशा बइठ के पीना चाहिए। पानी ल पीयत समय चाय बरोबर एकक घूंट पीना चाहिए एखर से पाचन क्रिया मजबूत हाथे।
एखर बाद दूसर काम पेट साफ करे के हवय। पानी पीये के बाद शौचालय जाना चाहिए। पेट के सही ढंग से साफ नई होय ले 108 प्रकार के बीमारी होय के संभावना रहिथे। खाय के कम से कम डेड़ घंटा बाद पानी पीना चाहिये।
अउ का - का कर सकत हन

1. खाय के बाद मही, दही ल जरूर पी सकत हन। बिहिनिया हमेशा जूस पीना चाहिए अउ दूध ल हमेषा रात के पीना चाहिए।
2. फल ल हमेशा बिहिनिया खाना चाहिए अउ मंझनिया घलो खा सकत हन।
3. जहाॅं तक हो सकय त शक्कर ल छोड़ के गुड़ के प्रयोग करना चाहिए। शक्कर हर बहुत कन बीमारी के जड़ आय। खाना बनाय म हमेशा काला नमक या सेंधा नमक के प्रयोग करना चाहिए।
4. आयोडीन के कमी ल सफेद प्याज अउ कच्चा भांटा हर दुरिहा कर देथे। बिहिनिया के भोजन ल हो सकय त सूर्य उगे के 3 से 4 घंटा के भीतर कर लेना चाहिए काबर के ए समय मनखे के जठराग्नि तेज होथे। खाये के बाद 20 मिनट बर डेरी डहर करवट लेके सूत जाना चाहिए एखर से आराम मिलथे।
5. रात के खाये के बाद तुरते नई सूतना चाहिए। रात के खाय के बाद थोरकिन घूमना-फिरना चाहिए। खाय के कम से कम 2 घंटा के बाद सूतना चाहिए।
6. मैदा के जिनिस जइसे पिज्जा, बर्गर आदि नई खाना चाहिए काबर के ए जिनिस मन ल सड़ा के बनाय जाथे।
7. सूते के बेरा हमशा मुड़ी ल उत्ती डहर करके सूतना चाहिए। एमा एक ठन बात अउ हवय के जेन मनखे हर ब्रह्मचारी हवय तेन पूर्व दिशा मुड़ी करके सूतयं अउ नइये तेन हर दक्षिण दिषा करके सूतय, उत्तर अउ पश्चिम डहर मुड़ी करके बिल्कुल नई सूतना चाहिए।
अगर ये उपाय ल नियम से करे जाय त 1 से 2 महीना के म हमर दिनचर्या स्वस्थ अउ बढ़िया हो जही।
संकलन अउ अनुवाद
(स्रोत-पत्रिका समाचार पत्र)
मनोज कुमार श्रीवास्तव
शंकरनगर नवागढ़
जिला-बेमेतरा छ.ग.
मो. 9406249242

27 October 2018

अशोक के रूख

संकलित अउ अनुवादित
(स्रोत- पत्रिका समाचार पत्र)

शास्त्र म लिखे गे हवय कि अशोक के रूख हर अड़बड़ चमत्कारी हवय। अगर अशोक के रूख घर म लगे हवय त कोनो समस्या अउ दुख तकलीफ तीर-तखार म नई फटकय। अशोक वृक्ष से कई प्रकार के धन-संपत्ति अउ कई ठन समस्या ल दूर करे जा सकत हवय।
अशोक के पत्ता ल घर के दरवाजा म वंदनवार के रूप म लगाये जाथे। एखर से घर म नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव नई पड़य। एखर पत्ता के उपयोग धार्मिक कार्य म होते रहिथे। अषोक के रूख हर सदाबहार हवय। ये हर हर मौसम म हरा-भरा अउ सुंदर दिखथे।
रावण हर अपन वाटिका म अशोक के रूख लगाय रहिस हवय तेखर सेती वो वाटिका के नाव अशोक वाटिका रखीस हवय। जब रावण हर सीता माता ल हर के लेगीस हवय त सीता माता हर वोही अशोक के रूख के तरी म बइठिस तभे सीता माता के दुख दूर होइस हवय। एखर सेती एखर पौराणिक महत्व जादा हवय। एखर तरी म बइठ के पूजा-पाठ करे जाय त मन ल शांति अउ सकारात्मक फल मिलथे।
अषोक के रूख 2 प्रकार के होथे-पहला रूख जेखर पत्ता हर रामफल के समान अउ फूल हर नारंगी रंग के होथे। दुसरइया अशोक जेखर पत्ता हर आमा के पत्ता कस अउ फूल हर सफेद होथे। जेन घर म ये रूख लगे रहिथे वो घर म धन-संपत्ति के कोनो कमी नई होवय।
अगर कोनो मनखे धन के कमी ले परेषान हवय त वो हर अशोक के रूख के जड़ ल नेवता देके अपन घर म लाके तिजोरी, दुकान या पवित्र जगहा म रख दीही त ओला धन-संपत्ति के कमी नई होवय।
पति-पत्नी के बीच म अगर तनाव हवय त अशोक के सात ताजा पत्ता ल देवी देवता के प्रतिमा के आघू म रखना चाहिए अउ जब वो पत्ता हर मुरझा जावय त दूसर सात पत्ता ओमेर रखना चाहिए अउ सुखाय पत्ता ल पीपल के रूख के तरी म डार देना चाहिए। ए उपाय से पति-पत्नी के बीच म मया हर बाढ़थे।
जब घर म कोनो मंगल कार्य होथे त अशोक के पत्ता ल वंदनवार लगाना चाहिए। वंदनवार अइसे लगाना चाहिए कि अवइया-जवइया के मुड़ म वो पत्ता हर छुवावय। अउ जादा ऊपर म नई लगाना चाहिए। एखर पत्ता ल घर के मुख्य द्वार म लगाना चाहिए, एखर से नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नई कर सकय। अइसे माने जाथे कि जेन मेर ये पत्ता ल लगा दे जाय त ओखर प्रभाव हर छः महीना तक बन रहिथे। एखर पत्ता ल लगाय के बाद वोला तब तक नई हेरना चाहिए जब तक कोनो नया मांगलिक कार्य घर म फेर न हो जाय।
       
संकलन अउ अनुवाद
शंकर नगर नवागढ़,
मनोज कुमार श्रीवास्तव
जिला- बेमेतरा, छ.ग. 491337
मो. 9406249242

24 October 2018

ठलहा बर गोठ

एदारी नगर प्रतिनिधि,
कोन हर बनही,
ओही हर बनही,
जेन हर गनही,
एहू हर पूछे के बात ए,
तहूँ गन देबे त,
रात ह दिन अउ,
दिन ह रात ए,
एक झन मनखे चुनाव जीतके,
खुर्सी म बइठगे,
खुर्सी म बइठिस तहाँ
मुरई कस अइंठगे,
अब आन ल बइठारही,
चार महीना बाद ,
वोहू ला उतारही,
ए हर नगर प्रतिनिधि के नोहे,
नांगर प्रतिनिधि के चुनाव ए,
बइला सुखागे त कोंटा म बांध दे,
नवा बइला लाके जुड़ा म फांद दे।।

20 October 2018

लोकतंत्र का व्यापार

सियासत के पुतले,
मन ही मन
मचल रहे हैं,
बाजार में हर तरफ,
खोटे सिक्के ही,
चल रहे हैं,
नेता तो बोस थे,
आज तो देश में
केवल अभिनेता हैं,
दलालों की नीति,
देश के विक्रेता हैं,
चौथा स्तम्भ भी,
चाटुकारिता का,
किरदार है,
स्वार्थ का चबूतरा,
लोकतंत्र का,
व्यापार है।

Next Page Home

हर ताज़ा अपडेट पाने के लिए नवागढ़ के Facebook पेज को लाइक करें

Random Post

मुख्य पृष्ठ

home Smachar Ayojan

नवागढ़ विशेष

history visiting place interesting info
poet school smiti
Najdiki suvidhae Najdiki Bus time table Bemetara Police

ऑनलाइन सेवाएं

comp online services comp

Blog Archive